ऊर्जा के अनवीकरणीय स्त्रोत ( non renewable energy sources)
ऊर्जा के अनवीकरणीय स्त्रोत :-
ऊर्जा के वे स्त्रोत जिनका निरंतर उपयोग करने पर एक सीमा के बाद समाप्त हो जाते हैं उन्हें अनवीकरणीय ऊर्जा स्त्रोत कहते हैं ।
जैसे- कोयला , प्राकृतिक गैस ,पेट्रोलियम आदि ।
जीवाश्म ईंधन :-
जीवाश्म ईंधन ऊर्जा मुक्त कार्बन यौगिकों के वे अणु है जिनका निर्माण मूलतः सौर ऊर्जा के उपयोग से वनस्पतियों और अन्य जीवों से हुआ है ।
उदाहरण - कोयला ,पेट्रोलियम , प्राकृतिक गैस आदि।
कोयला :-
जब किसी कारणवश पेड़ पौधों के अवशेष करोड़ों सालों तक जमीन के अंदर दबे रहते हैं तो बहुत मंद रासायनिक अभिक्रिया के द्वारा ऊर्जा के स्त्रोत में बदल जाते हैं जिन्हें कोयला कहते हैं ।
कार्बन की मात्रा के आधार पर कोयला तीन प्रकार के होते हैं -
1 - भूरा कोयला या लिग्नाइट कोयला :-
इसमें 38 प्रतिशत कार्बन होता है ।
2 - बिटुमिनस कोयला :-
इसमें 65 % प्रतिशत कार्बन होता है ।
3 - एंथ्रेसाइट कोयला :-
इसमें 96 % प्रतिशत कार्बन होता है ।
पेट्रोलियम :-
गहरे भूरे काले रंग का गाढ़ा चिपचिपा तरल पदार्थ जो करोड़ों सालों में भूमि के अंदर जीवो के अवशेषों से बनता है और कई हाइड्रोकार्बन का मिश्रण होता है , पेट्रोलियम कहलाता है।
पेट्रोलियम गैस :-
पेट्रोलियम के शोधन के दौरान उत्पन्न होने वाली गैसों के मिश्रण को पेट्रोलियम गैस कहते हैं , जिसमें मुख्य घटक ब्यूटेन होता है ।
पेट्रोलियम गैस के तरल रूप को लिक्विड पेट्रोलियम गैस LPG कहते हैं ।।
LPG के उपयोग में सावधानियां -
1- गैस का रिसाव नहीं होना चाहिए।
2- गैस की गंध आने पर खिड़की दरवाजे खोल देनी चाहिए ।
3- रबर ट्यूब सही होना चाहिए ।
4 - रिसाव की स्थिति में बिजली के स्विच चालू या बंद नहीं करना चाहिए।
5- उपयोग के बाद गैस बंद कर देना चाहिए ।
प्राकृतिक गैस :-
तेल के कुओं में पेट्रोलियम के ऊपर कुछ गैसों का मिश्रण होता है जिसे प्राकृतिक गैस कहते हैं । इसका मुख्य घटक मेथेन होता है ।
दहन :-
ऑक्सीजन की उपस्थिति में किसी पदार्थ का जलना दहन कहलाता है । यह एक ऊष्माक्षेपी अभिक्रिया है।
ज्वलन ताप :-
जिस ताप पर कोई पदार्थ जलना शुरू करता है उसे उस पदार्थ का ज्वलन ताप कहते हैं ।
कैलोरी मान या उष्मीय मान :-
किसी ईंधन के इकाई द्रव्यमान को जलाने से जितनी ऊष्मा उत्पन्न होती है उसे उस ईंधन का उष्मीय मान या कैलोरी मान कहते हैं ।
अच्छे ईंधन या आदर्श ईंधन के लक्षण -
1- उच्च उष्मीय मान ।
2- उचित दहन ताप ।
3- दहन की संतुलित दर ।
4- कम मूल्य ।
5- पर्याप्त उपलब्धता ।
6- भंडारण तथा परिवहन में आसानी ।
7- अवशेष का कम होना ।
8- विषैले पदार्थों की अनुपस्थिति ।
नाभिकीय ऊर्जा :-
किसी परमाणु के नाभिक से उत्पन्न होने वाली ऊर्जा को नाभिकीय ऊर्जा कहते हैं ।
नाभिकीय ऊर्जा दो अभिक्रियाओं से उत्पन्न होती है -
1- नाभिकीय संलयन अभिक्रिया
2 - नाभिकीय विखंडन अभिक्रिया
1- नाभिकीय संलयन अभिक्रिया :-
जब दो हल्के नाभिक आपस में संयुक्त होकर एक बारी नाभिक बनाते हैं, तो इस अभिक्रिया को नाभिकीय संलयन अभिक्रिया कहते हैं ।
जैसे- हाइड्रोजन के ड्यूटीरियम नाभिक आपस में जुड़कर हीलियम के भारी नाभिक और ऊर्जा बनाते हैं
1H2 + 1H2 = 2He4 + 0n1 + 21.6 MeV ऊर्जा
यह क्रिया बहुत उच्च ताप पर होती है ।
क्रिया करने वाले पदार्थ रेडियोधर्मी नहीं होते हैं ।
इस क्रिया को नियंत्रित करना कठिन होता है ।
नाभिकीय संलयन क्रिया के आधार पर हाइड्रोजन बम बनाते हैं ।
नाभिकीय विखंडन अभिक्रिया :-
जब किसी भारी नाभि पर मंद गति का न्युट्रान टकराता है तो वह दो हल्के नाभिकों में विभक्त हो जाता है इसे नाभिकीय विखंडन अभिक्रिया कहते हैं ।
जैसे- यूरेनियम 235 के भारी नाभिक पर मंद गति के न्युट्रान टकराते हैं तो यह बेरियम और क्रिप्टान के हल्के नाभिकों में तथा तीन न्यूट्रान में टूट जाता है।
92U235 + 0n1 = 56Ba144 + 36Kr89 + 3 0n1+ ऊर्जा
यह क्रिया सामान्य ताप पर होती है ।
विखंडनीय पदार्थ रेडियोधर्मी होते हैं ।
इस क्रिया को नियंत्रित किया जा सकता है ।
नाभिकीय विखंडन क्रिया के आधार पर परमाणु बम बनाते हैं।
श्रंखला अभिक्रिया :-
जब यूरेनियम 235 पर मंद गति का न्यूट्रान टकराता है तो यह दो हल्के नाविकों में टूटता है तथा तीन न्यूट्रान बनते हैं जब वे तीनो न्यूट्रान अलग-अलग यूरेनियम 235 भारी नाभिक से टकराकर उन्हें दो हल्के नाभिकों में और 3 न्युट्रानों में तोड़ देते हैं , फिर यह प्रत्येक न्यूट्रान अन्य भारी नाभिको तोड़ते है। इस प्रकार यह क्रिया अंतिम यूरेनियम नाभिक के टूटने तक चलती रहती है इसे श्रंखला अभिक्रिया कहते हैं ।
नाभिकीय रिएक्टर :-
वह युक्ति जिसमें नाभिकीय विखंडन से नियंत्रित श्रंखला अभिक्रिया के सिद्धांतों पर उर्जा उत्पन्न होती है उसे नाभिकीय रिएक्टर कहते हैं ।
नाभिकीय रिएक्टर के उपयोग :-
1- विद्युत ऊर्जा के उत्पादन में ।
2- प्लूटोनियम के उत्पादन में ।
3- तीव्रगामी न्युट्रानों के उत्सर्जन में ।
4- रेडियोधर्मी समस्थानिकों के निर्माण में ।
नाभिकीय ऊर्जा के उपयोग :-
1- विद्युत उत्पादन तथा पनडुब्बियों को चलाने में ।
2- कैंसर जैसी बीमारियों के इलाज में ।
3- कृषि तथा उद्योग क्षेत्र में।
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